कुंडली देखें या अपने प्रेम पर विश्वास करें


क्या शादी से पहले कुंडली मिलाना ज़रूरी है?

आजकल शादी होने से पहले कुंडली मिलाने की प्रथा जिस तरह बढ़ती जा रही है उससे इसपर एक सार्थक बहस कि पहल लेखक चंद्रभूषण जी द्वारा सराहनीय है| लेखक महोदय ने अपने लेख में लड़के-लड़की द्वारा प्रेम विवाह कि इच्छा और विद्वान ज्योतिष द्वारा कुंडली दोष के कारण शादी करने कि सलाह कि चर्चा कि है, इस बारे में इतना ज़रूर कहूँगा सलाह से पहले ना तो सिधान्त का पालन किया गया ना ही अपने विवेक का|
इस बारे में महर्षि पराशर के दो स्पष्ट मत हैं, पहला प्रेम विवाह के मामले में कुंडली में मंगल दोष मान्य नहीं होगा| इसके पीछे महर्षि का मत हो सकता है कि आपसी प्रेम के कारण समझ ज़्यादा होगी जिसके कारण ग्रह दोष प्रभावी नहीं होंगे| दुसरा समय, स्थान और परिस्थिति के हिसाब से फल में अंतर होगा| लड़के- लड़की का आपस में प्रेम परिस्थिति विशेष है इसलिए यहाँ ग्रह दोष का नियम लागू नहीं होगा| भगवान राम और सीता माता कि शादी से पहले कुंडली मिलान में ३६ में से ३६ गुण मिले थे लेकिन जो कुछ हुआ हम सब जानते है| ये कुंडली का दोष नहीं बल्कि परिस्थिति जन्य दोष था| भगवान राम चाहते तो बनवास जाने से मना कर देते, धोबी कि बात पर ध्यान नहीं देते, फिर कहानी कुछ और होती|
ज्योतिष् कि माने तो शनि सातवें घर में उच्च का होता है तथा मंगल के सातवें घर में होने से पन्च महापुरुष योग कि संभावना बनती है जो कि अति शुभ माना गया है|  अगर शनि-मंगल के किसी विशेष घर में उपस्थिति मात्र से ग्रह-दोष का विश्लेषण करेंगे तो पचास प्रतिशत से ज़्यादा कुंडली में दोष बनेंगे जिसका अर्थ होगा आधी से ज़्यादा आबादी का परिवारिक जीवन कलहपूर्ण होना जो कि बिल्कुल ग़लत है|दरअसल किसी विशेष घर में शनि-मंगल के होने से हि अशुभ होने कि संभावना नहीं बन जाती बल्कि इसके साथ और भी बहुत कुछ पर विचार करने कि व्यवस्था ज्योतिष् शास्त्र में है जिसमें आजकल के ज्योतिषी पड़ना नहीं चाहते क्योंकि इससे दुकानदारी सिमट जाएगी|
जहाँतक कुंडली मिलाने कि बात है आज से दस-बीस वर्ष पहले तक इतने कुंडली मिलान नहीं होते थे जीतने आज हो रहे है, फिर भी पहले तो इतने तलाक़ होते थे हि इतने परिवारिक कलह थे जबकि शनि-मंगल दोष तो पहले कि कुंडली में भी रहते होंगे| ऐसा नहीं है कि ये दोष आज ही पैदा हो गये हैं| कुंडली मिलान का चलन शहरी परिवेश में  ज़्यादा है  जबकि तलाक़ भी ज़्यादा यहीं होते हैं| मैं जिस मिथिलांचल क्षेत्र से आता हूँ वहाँ आज भी कोई कुंडली मिलान नहीं होता फिर भी इतने वहाँ इतने परिवारिक कलह नहीं हैं तलाक़ तो डोर कि बात है| अगर इक्का-दुक्का कोई तलाक़ कि नौबत आती है तो उनके घर में जो अपने आप को ज़्यादा संभ्रांत समझते है और पश्चिमी सभ्यता के पीछे भागते हैं|
सुखी विवाहित जीवन चलता है पति-पत्नी के बीच आपसी समझ और समझौते से जिसका आज के समय में सख़्त अभाव देखा जाता है| यहाँ अहं का कोई स्थान नहीं है जबकि आज के आर्थिक युग में व्यक्ति का अहं प्रवल होता जा रहा है| जहाँ पति-पत्नी के बीच आपसी समर्पण है, बच्चों कि भविष्य कि चिंता है, जहाँ लोकलज्जा है वहाँ तलाक़ अथवा आपसी कलह का कोई स्थान नहीं है| ग्रामीण समाज में ये सारी चीज़ें अभी भी है जिसके कारण तो इतने तलाक़ होते है ही इतने कलह है|
मेरी स्वयं कि कुंडली के सातवें घर में शनि तथा मंगल दोनों विद्यमान है, शुरुआती कुछ वर्षों में कुछ समस्याएँ आई जो परिस्थितिजन्य थी| समय के साथ मैने अपने विवेक से इसको अनुकूल किया क्योंकि मुझे पता था अगर मामला बिगड़ेगा तो इसका बुरा असर ज़्यादा हमारे बच्चों पर पड़ेगा| ज्योतिष् ग़लत नहीं है, इसको हमने ज़्यादा विस्तार दे दिया है| दरअसल हर विग्यान कि तरह ज्योतिष् कि भी एक  सीमा है| अच्छा हो कि हम इसको इसकी सीमा में रहने दें और अपने समझदारी से आगे बढ़ें|

1 comment:

  1. Dear sir, kya aapne kundli milan me 5 gun miltey ho, aisi koi married life dekhi h, kisi ki?

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